छिन्दवाड़ा: छिंदवाड़ा प्रेस एसोसिएशन के सदस्यों ने दो दिनों तक पेंच टाइगर रिजर्व का भ्रमण किया इस दौरान पेंच टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी, नेचर टेल, ट्रेजर हंट गतिविधियों के माध्यम से प्रकृति एवं वन्य प्राणियों को जाना। छिंदवाड़ा प्रेस एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष महेंद्र राय ने बताया कि संगठन के 32 पत्रकार सदस्यों का दल ने पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया गेट से शुरू हुई इस भ्रमण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के कर्माझिरी,जमतरा और महाराष्ट्र के खुरसरा गेट के कोर और बफर एरिया के बारे में जानकारी हासिल की।
सिवनी और छिन्दवाड़ा जिले की सीमाओं पर 292.83 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के लगभग 250 प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।
टुरिया गेट में बनाया गया है इंटरप्रिटेशन सेंटर।
यह सेंटर सभी उम्र के पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां पर पर्यटकों को जंगलों को लेकर बहुत सी नई बातें विस्तार से जानने का मौका मिलता है. इस सेंटर में वन्य प्राणियों के स्टेच्यू बनाए गए है. आमतौर पर पर्यटक वन्य प्राणियों को दूर से देखते हैं. नजदीक से देखने में वे कैसे होते हैं. बाघ, तेंदुए व वन्य प्राणियों के शिकार करने के तरीके में क्या अंतर है. गौर या सांभर जैसे विशालकाय जानवर पास से कैसे दिखते हैं, पर्यटक इस सेंटर में बेहतर तरीके से जान पाते है. क्या कारण हैं कि जंगल में चीतल और लंगूर क्यों हमेशा पास दिखते हैं।
सिर्फ मनोरंजन नहीं पर्यावरण के महत्व को बताना है उद्देश्य।
पेंच टाइगर रिजर्व पार्क के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि भारत के सभी वन्य जीव पर्यटन क्षेत्र में पर्यटन की अनुमति दी जाती है. इसका मुख्य उद्देश्य होता है लोगों को वन्य प्राणी संरक्षण के महत्व को समझाने के साथ ही उन्हें जागरूक करना है. जिससे वे वन्य प्राणियों और उनके आवास को देख, समझ सकें तथा उसको सुरक्षित करने में अपना योगदान दे सकें. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटकों हेतु कई गतिविधियां चलाई जाती हैं।
पेंच टाईगर रिजर्व में अब तक 123 बाघ।
साल 2010 में जहां पेंच पार्क में बाघों की संख्या सिर्फ 65 थी. वहीं पिछली गणना जो साल 2022 में हुई थी, उसमें संख्या बढ़कर 123 के आसपास हो गए हैं. यानी इन पिछले 12 सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है. अखिल भारतीय बाघ आंकलन की बात करें तो पूरे देश में साल 2022 में संख्या 3682 है, जिसमें से 123 पेंच नेशल पार्क में हैं. हर चार साल में आल इंडिया सेंसस के तहत बाघों की गणना होती है, जिसके हर चार साल में हुई बाघों की गणना में इनकी संख्या बढ़ी है. साल 2022 में हुई इस गणना के बाद अब 2026 में गिनती होगी, अधिकारियों की माने तो बाघों की संख्या और बढ़ेगी. पिछले कुछ सालों में लगातार बाघों के मूवमेंट के बाद यह तो तय है कि यह आंकड़ा आने वाली गणना में बढ़ जाएगा।
बाघ के दीदार के लिए विदेशी सैलानियों बन रहा डेस्टिनेशन।
पेंच नेशनल पार्क के लिए पड़ोसी जिले सिवनी के प्रवेश द्वार पर्यटकों को पसंद आते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से भी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक की बात करें तो कुल 1877 देशी पर्यटकों ने पेंच पार्क का भ्रमण किया है. वहीं, विदेशी पर्यटकों की संख्या 73 रही. इस साल अकेले जमतरा गेट से पेंच पार्क प्रबंधन के 10,90,070 रुपए की आय हुई है. सिवनी जिले के टुरिया और कर्माझिरी गेट के अलावा छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से पर्यटक को पार्क की सैर कराई जाती है. पेंच नेशनल पार्क के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि, ”पेंच नेशनल पार्क में वर्ष 2022 को हुई गणना में बाघों की संख्या 123 आई है. वन्यप्राणियों के अनुकुल मौसम और वन्य प्राणी संरक्षण के लिए लोगों में जागरुकता भी इसकी वजह है।
एक नजर में पेंच टाईगर रिजर्व की कहानी।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान एक जंगली खेल का मैदान है, जिसमें देश के सबसे ज़्यादा शिकार करने वाले जानवर पाए जाते हैं। 1983 में इसे राष्ट्रीय उद्यान और 1992 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया। पेंच टाइगर रिजर्व 1,180 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 768 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन भी शामिल है। यह मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा प्रशासनिक जिलों के अंतर्गत आता है और महाराष्ट्र के साथ दक्षिणी सीमा साझा करता है। पेंच टाइगर रिजर्व में इंदिरा प्रियदर्शिनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच मोगली अभयारण्य और बफर वन शामिल हैं। पेंच का कुछ हिस्सा महाराष्ट्र राज्य में भी है।
मध्य प्रदेश से पेंच नेशनल पार्क तक पहुँचने के लिए तीन द्वार हैं – टुरिया गेट, कर्माझिरी गेट और जमत्रा गेट। पेंच ट्री लॉज कर्माझिरी गेट 25 मिनट के करीब स्थित है, जो जीप सफारी के अलावा एक अनोखे पैदल मार्ग – रूनी झूनी वॉकिंग ट्रेल तक पहुँच प्रदान करता है।
पेंच नेशनल पार्क में तेलिया बफर, खवासा बफर, कुंभपानी – टेकाडी बफर और रुकड़ बफर सहित बफर जोन में भी सफारी की सुविधा है। बफर सफारी पूरे साल और कोर जोन में अक्टूबर से जून तक खुली रहती है।
पेंच ट्री लॉज से रुकड़ बफर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और यहां लगातार बाघ देखे जा रहे हैं। कुंभपानी-टेकाड़ी बफर कर्माझिरी गेट के करीब है और पेंच ट्री लॉज से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस बफर में नाइट सफारी की भी सुविधा है। पेंच वास्तव में रमणीय वैभव की भूमि है। इस शानदार जंगल में बाघ, भारतीय तेंदुए, सुस्त भालू, चित्तीदार हिरण, नीलगाय, सांभर, चिंकारा, जंगली कुत्ते, गौर और भेड़िये सहित असंख्य वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं। पेंच पक्षियों को देखने के लिए एक आदर्श स्थान है, जहाँ 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। हाल के वर्षों में पेंच काले तेंदुओं के नियमित देखे जाने और उनके रिकॉर्ड के कारण भी खबरों में रहा है।