छिंदवाड़ा: नगर पालिक निगम छिंदवाड़ा जहां एक तरफ स्वच्छता सर्वेक्षण में छिंदवाड़ा को नंबर 1 बनाने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ छिंदवाड़ा शहर में चारों तरफ आज भी अतिक्रमण पसरा है। पार्किंग की उचित व्यवस्था, पूरे शहर में कहीं भी नहीं है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में आज भी पानी की समस्या है, शहर के मुख्य मार्गों पर दिनभर आवारा पशु और कुत्ते घूमते रहते हैं, जिससे लगातार दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुछ क्षेत्रों से तो लगातार यह शिकायत मिलती रहती है, कि कचरा गाड़ी के आने का भी कोई निश्चित समय नहीं है। कई क्षेत्रों में महीनों–महीनों नालियां साफ नहीं हो रही है, मच्छर पनप रहे हैं, नालियों मै दवाइयां कई महीनो से नहीं डाली गई।
इन्हीं सब शिकायतों को लेकर जब शिकायतकर्ता निगम कार्यालय में शिकायत करता है। तो निगम कार्यालय के चक्कर लगा–लगाकर उसकी चप्पल घिस जाती है, मगर उसकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। आवेदक इतना परेशान हो जाता है, कि वह हार मानकर शांत हो जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन सेवा के आने के बाद लोगों का सीएम हेल्पलाइन के प्रति एक भरोसा जागा था। मगर आज आलम यह है, की सीएम हेल्पलाइन मै शिकायत करने के बाद भी शिकायतों के निराकरण नहीं हो रहे हैं, बल्कि शिकायत का सीएम हेल्पलाइन को फर्जी गलत निराकरण देकर, शिकायतकर्ता को भ्रमित करके निगम कर्मचारी सीएम हेल्पलाइन को गुमराह करके शिकायत को बंद करवा देते हैं ।
ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है, जहां वार्ड क्रमांक–41 के कुछ क्षेत्रों में नल की पाइपलाइन का कनेक्शन सीवरेज से जुड़ जाने के कारण कुछ घरों में विगत कई महीनो से गंदा और दूषित पानी आ रहा है, वार्डवासी गंदा पानी के कारण बीमार भी पढ़ रहे हैं, इस समस्या का समाधान करने की बजाय नगर निगम के कर्मचारी सीएम हेल्पलाइन को झूठा निराकरण देकर सीएम हेल्पलाइन को गुमराह कर रहे।
यह हाल केवल वार्ड क्रमांक 41 का नहीं शहर के कई वार्डों की स्थिति यही है, मगर नगर निगम छिंदवाड़ा कार्यालय में उनकी सुनवाई करने वाला जिम्मेदार व्यक्ति कोई नहीं हैं। अधिकांश वार्डो के जनप्रतिनिधि भी अभी दल–बदल की राजनीति में व्यस्त हैं, उन्हें खुद ही कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि इधर जाएं या उधर जाएं । ऐसी स्थिति में शिकायतकर्ताओं की शिकायतों का कैसे निराकरण होगा। इन दिनों शहर में टाइफाइड और पीलिया के मरीजों की संख्या देखी जा रही है। वही नगर निगम की लापरवाही किसी के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है।
रिपोर्ट –करण विश्वकर्मा