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मानवता इंसानियत भूल गए कुछ डॉक्टर , हॉस्पिटल संचालक , सिर्फ याद रहा तो व्यापार

छिंदवाड़ा ।। जिले में अक्सर यह देखने को और सुनने को मिलता है । चाहे वह शासकीय डॉक्टर हो , चाहे प्राइवेट हॉस्पिटल के कुछ डॉक्टर हो , उनकी अंतरात्मा मर चुकी है । इनके अंदर में जो मानवता थी । इंसानियत थी । वह मर चुकी है । सिर्फ अब इनके पास में यदि कुछ बचा है । मानव सेवा के नाम पर लाखों रुपए की लूट । इसके अलावा कुछ नहीं । जिन्हें एक जमाने में हम लोग डॉक्टर को भगवान का रूप मानते थे । इन्हें पूजते थे । इस पृथ्वी पर । अब वह मानव नहीं दानव का काम कर रहे हैं । मैं नहीं कहता कि सभी डॉक्टर ऐसे हैं। मगर अधिकतर ऐसे डॉक्टर देखने को मिल रहे हैं । प्राइवेट हॉस्पिटलों में एक तो डॉक्टरों की कमी है । और कॉलिंग डॉक्टरों की भरमार है । एक डॉक्टर छिंदवाड़ा के 10 हॉस्पिटलों में अपनी सर्विस दे रहा है । जिन डॉक्टरों का स्पेशलिस्टों का हमें सपना दिखाया जाता है ।

वास्तव में वह डॉक्टर 24 घंटे उस अस्पताल में सर्विस तो देता ही नहीं है । जिनके नाम को लेकर हम उस अस्पताल में जाते हैं । कभी जगह पर उपलब्ध नहीं होते । कॉलिंग डॉक्टर बनना इनका का पेशा हो गया है । अपने कर्तव्य निष्ठा को भी भूल गए । एक साधारण सी सर्दी खांसी नॉर्मल बुखार हो । तब भी इतनी जांच कराई जाती है । जब तक के 5 ₹10000 का बिल ना बन जाए । जबकि साधारण गोली लिखकर भी मरीज को ठीक किया जा सकता है । यदि साधारण गोली लिखकर ही इलाज कर लेंगे तो हजारों लाखों रुपए कैसे कमाएंगे । मैं यह भी नहीं कहता । कि जांच नहीं होनी चाहिए । जांच होनी चाहिए । मगर जो बहुत आवश्यक हो तो ही करना चाहिए ।

प्राइवेट हॉस्पिटलों में मनमाना रूम का किराया वसूला जा रहा है । हॉल का भी किराया मनमानी ढंग से वसूला जा रहा है । AC प्राइवेट रूम का किराया तो फाइव स्टार होटल से भी अधिक का वसूला जाता है । मगर देखने और बोलने वाला कौन है । जनप्रतिनिधियों का भी मौन समर्थन इन्हें प्राप्त है । ऐसा प्रतीत होता है । वरना कोई ना कोई तो जनप्रतिनिधि इस दिशा में कभी आवाज उठाते दिखता । वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कभी फुर्सत नहीं मिलती । कि अचानक प्राइवेट हॉस्पिटलों की जांच करें । और देखें कि जिन डॉक्टरों की नियुक्ति इस अस्पताल में दिखाई गई है । जिनके नाम लिखे हैं । बड़े-बड़े बोर्ड में लिखा है । क्या वह डॉक्टर 24 घंटे या 12 घंटे उस अस्पताल में रहता भी है । या नहीं । जनहित में क्या स्वास्थ्य विभाग का अम्ला और जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देगा या उनकी भी मानवता इंसानियत मर गई ।

रिपोर्ट : संजय भारद्वाज